NOT KNOWN DETAILS ABOUT BEST HINDI STORY

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मोती भी उसको अपने हाथों से रोटी खिलाता।

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हरिशंकर परसाई: हिंदी के महान व्यंग्यकार जिन्होंने अपने समकालीन लेखकों को भी नहीं बख़्शा

शेख़ हसीना के मामले में भारत के सामने क्या हैं विकल्प?

हरियाणा में बीफ़ के शक़ में बंगाल के एक युवक की पीट-पीटकर हत्या, क्या है पूरा मामला

उनकी पूरी योजना जानने के लिए हमारा पॉडकास्ट सुनें ।

उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। काफी प्रयत्न कर रही थी, किंतु वह रस्सी से बंधी हुई थी।

वह कौन-सा मनुष्य है जिसने महा-प्रतापी राजा भोज महाराज का नाम न सुना हो! उसकी महिमा और कीर्ति तो सारे जगत् में व्याप रही है, और बड़े-बड़े महिपाल उसका नाम सुनते ही काँप उठते थे और बड़े-बड़े भूपति उसके पाँव पर अपना सिर नवाते। सेना उसकी समुद्र की तरंगों राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद

प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।

शांति ने ऊब कर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; get more info पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क

एक राजा और उसका मंत्री बहुत अच्छे मित्र थे। वे हमेशा साथ रहते थे। उनकी तरह, उनके बेटे भी एक साथ बड़े हुए और बहुत करीबी दोस्त बने । एक दिन दोनों शिकार पर गए। रास्ते में उन्हें बहुत प्यास लगी और वे थक गए इसलिए उन्होंने एक पेड़ के नीचे आराम करने का फैसला किया। मंत्री का बेटा पानी की तलाश में गहरे जंगल में चला गया। एक झरने के पास पहुँचकर उसने एक सुंदर परी को देखा। लेकिन परी के पास एक शेर बैठा था। उसने धीरे से झील से कुछ पानी निकाला और अपने दोस्त के पास वापस लौट आया।

'ठाकुर का कुआं', 'सवा सेर गेहूँ', 'मोटेराम का सत्याग्रह', जैसी प्रेमचंद की अनेक कहानियों में अंतर्भूत मानवीय संवेदना तथा जाति व्यवस्था के प्रति उनका दृष्टिकोण इस कहानी को कालजयी और आधुनिक बनाता है.

कहानी के जोबन का उभार और बोल-चाल की दुलहिन का सिंगार किसी देश में किसी राजा के घर एक बेटा था। उसे उसके माँ-बाप और सब घर के लोग कुँवर उदैभान करके पुकारते थे। सचमुच उसके जीवन की जोत में सूरज की एक सोत आ मिली थी। उसका अच्छापन और भला लगना कुछ ऐसा न था जो इंशा अल्ला ख़ाँ

" किरन अभी भोरी थी। दुनिया में जिसे भोरी कहते हैं, वैसी भोरी नहीं। उसे वन राधिका रमण प्रसाद सिंह

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